Major Farmer Movements of Gandhi Era: A Historical Study
गाँधी युगीन प्रमुख किसान आंदोलन: एक ऐतिहासिक अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i08.003Keywords:
Economy, Agriculture, Culture, Movement, Champaran MovementAbstract
India is a country of villages. The economy here is based on agriculture. The main responsibility of the country's economy rests on the farmers here. Whenever we think of a farmer, his face which is always adorned with lines of worry, comes before us. Farmer is the basic basis of the agricultural culture of India. Any analysis of Indian culture would be incomplete without the farmer, but today the farmer is again in search of his own identity, this plight of the farmers is not a new thing. Since ancient times, the farmer has been his victim and exploited, but when this suffering and exploitation becomes more than the limit, he is forced to agitate. On one hand, where Indian agriculture was considered as a way of life, today it is forcing the farmer to commit suicide. Be it the Sanyasi movement or the Neel movement or the Champaran movement or the Kheda movement or the Bardoli movement, farmers have been persecuted by the landlords in all the movements. They have been organizing and fighting for their demands against exploitation and oppression.
Abstract in Hindi Language:
भारत गांवों का देश है। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के किसानों पर ही देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख जिम्मेदारी है। जब भी हम एक किसान के बारे में सोचते हैं उसका चेहरा जो हमेशा चिंता की लकीरों से सजी रहती है, हमारे सामने उभर कर आ जाती है। किसान भारत के कृषि संस्कृति का मूल आधार है। किसान के बिना भारतीय संस्कृति का कोई भी विश्लेषण अधूरा होगा, लेकिन आज किसान अपनी ही अस्मिता को तलाश फिर है, किसानों की यह दुर्दशा कोई नई बात नहीं है। प्राचीन काल से ही किसान अपनी पीड़ित और शोषित रहा है, लेकिन यह पीड़ा और शोषण जब हद से ज्यादा हो जाता है तो वह आंदोलन करने पर विवश हो जाता है। एक तरफ जहां भारतीय कृषि को जीवन जीने का तरीका माना जाता था, वही आज किसान को आत्महत्या तक करने पर मजबूर कर रहा है। सन्यासी आंदोलन हो या नील का आंदोलन या चंपारण आंदोलन हो या खेड़ा आंदोलन या बारदोली आंदोलन हो, सभी आंदोलनों में किसान जमींदारों द्वारा सताए जाते रहे हैं। शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर संगठित होते और संघर्ष करते रहे हैं।
Keywords: अर्थव्यवस्था, कृषि, संस्कृति, आंदोलन, चंपारण आंदोलन
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