Critical peruse of novels of the new century in the context of cultural discourse
सांस्कृतिक विमर्श के परिप्रेक्ष्य में नई सदी के उपन्यासों का समीक्षात्मक अनुशीलन
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i07.024Keywords:
Culture, Renaissance, Blindness, Marketism, BhasanAbstract
Culture opens the mindset of the society. Change and enrichment in culture is a constant dynamic. Its nature is synergistic. The most authentic basis of knowledge of the culture of any nation or society is its literature. In culture, both consciousness and behavior are in harmony. It becomes important to imbibe a creative form of cultural consciousness. The mental development of human takes place through various dimensions of culture, when culture assumes the form of wide and comprehensiveness, which is expressed only through literature.
Abstract in Hindi Language:
संस्कृति समाज की मानसिकता का उद्घाटन करती है। संस्कृति में परिवर्तन और संवर्धन निरन्तर गतिशील रहता है। इसका स्वरूप समन्वयात्मक होता है। किसी भी राष्ट्र या समाज की संस्कृति के ज्ञान का सर्वाधिक प्रामाणिक आधार उसका साहित्य होता है। संस्कृति के अन्तर्गत चेतना और व्यवहार दोनों का परस्पर सामंजस्य होता है। सांस्कृतिक चेतना का सृजनात्मक रूप धारण करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है। मानव का मानसिक विकास संस्कृति के विविध आयामों द्वारा होता है जब संस्कृति विस्तृत एवं व्यापकता का रूप धारण करती है जिसकी अभिव्यक्ति साहित्य के द्वारा ही होती है।
Keywords: संस्कृति, पुनर्जागरण, अन्धानुकरण, बाजारवाद, भसान।
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